बड़ी जोर की आज बरसात हैं आंखों में यादों की बारात है वो पहली मुलाकात की रात थी ना सोएं थे, ना जागे थे बस , चांद को निहारते रात गुजारी थी वो, मेरे सपनो की शुरुआत थी बस, कुछ देर तक साथ चला था फ़ुरसत मिलते ही चला गया था मेंने भी जाने दिया था रोक कर क्या करना था मोहब्बत में जबरदस्ती तो नहीं होती ये उसकी मर्जी थी उसे जाना था,वो चला गया पर, मेंने आज भी उसे संभाल कर रखा है अपने दिल, ज़हन, तन्हाई, खुशी गम सब में वो आज भी साथ हैं कोई बात थी उसमें जब भी याद आती है उसीके शहर, गली के सामने ये दिल आज भी ठहरता हैं उसी गली जहां हम और वो पहली बार मिले थे मेरी यादों में मेरे ज़हन में कई बार में उस गली से गुजर कर आती हूं जहां अब उसका नामोनिशान नहीं हैं अब ,आंखों में मेरी सिर्फ यादों को बहाती रहती हूं रात को यादों को भींगो कर रात रात जागती हूं दिन भर मुस्कुराते हुए सबको संभालती हूं बनावटी चेहरा उतार कर थोड़ा सांस लेती हूंयं चांद में कोई चेहरा देख लेती हूं जैसे ही रात की आंखों से काली श्याहि टपकती है मेरी आंखों के सामने यादें दौड़ आती हैं और हर रात कोई एक तारा मेरे सपनों सा चमककर टुटता देखती हूं.. बड़ी जोर की आज बरसात हैं आंखों में यादों की बारात हैं वो पहली मुलाकात की रात थी ना सोएं थे, ना जागे थे बस , चांद को निहारते रात गुजारी थी वो, मेरे सपनो की शुरुआत थी