राजभाषा है हिंदी राजकाज इसमें होता है कम राष्ट्रभाषा है हिंदी पूरे राष्ट्र में बोली यह जाती नहीं सांस्कृतिक सूत्र है हिंदी पर आर्थिक आधारित हो गई संस्कृति पूरे देश में फिर भी जीवित है हिंदी क्योंकि हमारी आत्मा है यह एक दिन का उत्सव नहीं है हिंदी हिंदुस्तान की प्रतीक है यह पढ लो कितने ही शास्त्र पर विश्व बंधुत्व केवल पढाती है हिंदी हिमालय सी ऊंची तो गंगा सी मधुर और रेगिस्तान जैसी सहनशील है हिंदी लिखते होंगे अंग्रेजी बोलते होंगे आंचलिक फिर भी हिंदुस्तान के माथे की बिंदी है हिंदी।। ©Mohan Sardarshahari हिंदी है माथे की बिंदी