यूँ अकेले बैठकर खुदको क्या कोसना साकी, मेहखना तेरा, शराब तेरी, पिला दे क्या रहा बाकी, जिसे जाना था वो तो जा चुके है किसी राह पर, रुखसत कर इश्क़ से खुदको, अब क्या रहा बाकी, थानेदार नहीं वो, जो मेहखना बंद करादे तेरा, पिला ना रुक अभी तू , बोतल में शराब है बाकी, यूँ तेरा भी हक़ जाताना, नशा उतार देता है झालिम, के पड़े रहने नशे में, चंद लम्हे है अभी बाकी, शरीख होना तुम भी, जानेवाले जनाज़े में मेरे, हिस्से के मेरे गुलाब अभी कुछ देने है तेरे बाकी, मै आबाद करूँगा तुझे, बर्बादी से बहुत दूर, सुना है, तूने कहा कही, कुछ क़र्ज़ मेरा अभी है बाकी, के पिला ना रुक अभी तू साकी, बोतल में शराब है बाकी, निकल जाने दे उसके नाम के आंसू, ये आँखों में है बाकी, follow @prashant_the_mushayar #gazal #ghazal #Poetry #Shayari #Mirza #mirazagalib #urdu #rekhta #Hindi #kavita