ना मैं खिलाड़ी हुं, ना मैं कोई खेल जानता हूं । व्यक्ति हुं रेलवे का, मैं बस रेल जानता हूं ।। रेल की पटरियों सी टेढ़ी मेढ़ी लाइफ मेरी । गति बदलती रहती है, पर मैं ट्रेन सा चलता जाता हूं । लोग थुकें मुझपर या फिर मेरा अनादर ही क्युं ना करें । मैं कर्तव्य निर्वाहन अपना , फिर भी करता जाता हूं।। जीवन के इस दौर मे कुछ दिल पसंद स्टेशन स्कीप हुए । तो बीच में बस कहीं अचानक गाड़ी में मेरी इबी लग गई । तो कहीं राह चलते -चलते, गाड़ी युंही अचानक रुक गई ।। लेकिन पहियों सी है मेरी जिंदगी जनाब, ये चलेंगें ज़रुर । थोड़ी विलम्ब से ही,हम मंज़िल पर आपको मिलेंगे ज़रुर ।। ©Ranjesh Singh #Life #rail #Transportation #IFPWriting