क्षमा वीरस्य भूषणं पल्लव की डायरी मन की मुरादे ही,दिल को दिवालिया करती है फरेवो का जाल बुनकर,फूलो सी खिलती है चोटें गैरो को देकर,अपनी मंजिल तय करती है तड़पता तो कोई होगा,ठेस भी मन को लगी होगी जीवन मे कितनो की,हाय लगी होगी मगर अभिमान वा शान में, पीड़ा किसी की महसूस ना की होगी लेकिन अपने पापो के प्रायश्चित के लिये ह्रदय के द्वार खोल दीजिये भवो में ना भटको इसलिये भावो का शुद्धिकरण कर लीजिये करुणा के नीर से संवेदनाओ को भर लीजिये अंतर आत्मा में,क्षमा मांगने और क्षमा देने का गुण विकसित कर लीजिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #MyJourneyWithNojoto क्षमा वीरस्य भूषणं #MyJourneyWithNojoto