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देह मेरी ठहर गयी है, साँस देखो जा रही, बहार पतझड़ स

देह मेरी ठहर गयी है,
साँस देखो जा रही,
बहार पतझड़ सी हुई है,
ये प्रेम कैसा निभा रही,

भंवर कुमुदनी के वियोग में,
नेत्रों से पीड़ा कह रहा है,
ह्रदय गर्भ से भाव तरल,
विरह को लेकर बह रहा है,



मुख कोपल मन वंदना,
बोलने को आतुर से हैं,
मनाकाश में मेघ पीड़ा,
गर्जन लिए ठहरे हुए हैं,
#अभय

©Anmol Diwaker
  ❤️🌹🙏
#klrahul

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