सुहानी शाम सावन की भी है, और, सागर किनारा छोर है, छपाछप बूंद बारिश की भी है, और बादल बरसता तोर है, मचलता दिल भी है आखिर में अब, जहन में फिर सुबह की भोर है, कोई दस्तक दिलों में दे रहा, मुझे शायद लगे वो और है | ©Senty Poet #Barsaat #pyaar #Love #Shayar