ईर्ष्या की सुलगती रेत में, आशाएँ ख़ाक हो गयी तपन सह न पाई, पानी से निकलती भाफ हो गयी सहसा टूट कर गिरी,इस कदर वो मासूम कली की तेज धूप की किरणे भी, सनसनाती रात हो गयी हलचल सी होने लगी, समंदर से गहरे दिल में भी नज़रे झपकाया ही था,और वो यूँ ओझल हो गयी खंजर था वो किस्मत के, उन ढींठ हांथो का जो चुभा इस कदर उसको की,आशा छलनी हो गयी चोटें हज़ारों के आंकड़ों में,लकीरों ने हमको दिए जो आहिस्ता - आहिस्ता हज़ार से लाख हो गयी तड़प भरी होती है बिन हांथों की लकीरें हाथ की फर्क नहीं'आयु'अब वो जीवन की खुराक हो गयी Thanks to all, bahut saare poke k liye🤗🤗 अकेले मझधार में जो फस्ती है, वो आशा की नाव है जीवन का कड़वा सत्य ही,एक पवित्र मन के भाव है __________________✨_________________ अब आशाएँ जीवन की चूर हो गयी है, क्योंकि