बिना उसके मेरी ये जिंदगी क्या है, उसी से मैंने जाना जिंदगी क्या है। दुआ में रोज़ उसका नाम जपता हूँ, मुझे फिर ना बताओं बन्दगी क्या है। उसी का ख्याल खुद को भूल बैठा हूँ, अभी समझा सही में बेखुदी क्या है। बिना दीदार मैं बेचैन रहता हूँ, कोई बूझे हमारी तिश्नगी क्या है। रहे नजदीक फिर भी दूर ही हैं वो, बड़ी इससे किसी की बेबसी क्या है। यकीनन रोज पीता हूँ शराबी हूँ, मिलों तो मैं बताऊँ मयकशी क्या है। ©Deven(बदनसीब सुख़नवर) #deven मेरे अल्फ़ाज़