#OpenPoetry गलतफहमी दूर करते हुए तेरी मैं बुरा हूँ यह कहता हूँ गम देता हूँ जितने भी मैं, दोगुना उससे सहता हूँ मज़ाक - मज़ाक में कमबख्त यह जुवान बेलगाम हो जाती है इसी वजह से तो मै बेवजह ही अक्सर बदनाम रहता हूँ जब सोचा मैने कि हर दिन मेरी की हरकत किसी के काम नही आती जालीम झील बन जाए उतने से, तभी नीर बोला कि जितना मै तेरी आँख से बहता हूँ _ _ _करनैल सिंह Yeah i m bad ... Karnail Singh Dhillon