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ग़ज़ल कृपया कैप्शन में पढ़ें ना-तवाँ हो गया हूँ मैं

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ना-तवाँ हो गया हूँ मैं दुन्या में अब
अपना मुझको ख़ुदा तुम दिखा दो निशाँ 212 212 212 212
"फ़ासले तेरे मेरे हैं क्यों दरमियाँ
रात है वस्ल की और मैं हूँ जवाँ

मेरी बाहों में आके न घबराना तुम
आज की शब हया सारी करदो निहाँ"

लौट कर जो न आई मिरे पास तुम
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ना-तवाँ हो गया हूँ मैं दुन्या में अब
अपना मुझको ख़ुदा तुम दिखा दो निशाँ 212 212 212 212
"फ़ासले तेरे मेरे हैं क्यों दरमियाँ
रात है वस्ल की और मैं हूँ जवाँ

मेरी बाहों में आके न घबराना तुम
आज की शब हया सारी करदो निहाँ"

लौट कर जो न आई मिरे पास तुम