धोया सुखाया अजी बारंबार गोया नहाये जैसे गजी मझधार तोष तप्त अतिसौरभित बयार दोष शंसोषण सारा हुआ बेकार जेहन ज्योंही आई तृषा पुकार! ©RAVINANDAN Tiwari #हल्के_कलम #कच्ची_सड़क #वैराग्य_कच्ची_सड़क