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शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है सोचता रोज़

शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है 

सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा

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  #teriyaden
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Parth

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#teriyaden #लव

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