जीने की सजा दे गई, मौत फिर दगा दे गई। ये ख़ुशी गिला भी मुझे बेवफा वफा दे गई। आग बुझ गई इश्क की, कौन फिर हवा दे गई। ये गिला बराबर रहा , जिंदगी कजा दे गई । गम मुझे नही छू सका, मेरी मां दुआ दे गई । कब नसीब थे ये मिरे, बन्दगी सिला दे गई। रैना का नसीबा यही, बेवजह कजा दे गई। रैना ©Rajinder Raina कजा