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मैं सोचता हूँ कि अब तुम्हारे मेरे ज़िन्दगी में न

मैं सोचता हूँ कि अब तुम्हारे मेरे ज़िन्दगी में न 
होने से सिर्फ दुःख और खालीपन ही तो है,
पर ज़िन्दगी तो चल ही रही है क्योंकि खुदा 
के बनाए हुए इस निजाम में कभी भी कुछ 
भी नहीं रुकता है। ज़िन्दगी चलती ही रहती है 
अगर रोकना  भी चाहे तो भी नहीं रूकती, 
सिवाय इसके कि उसके ख़त्म होने का वक़्त 
आ जाये और कभी कभी ये भी सोचता हूँ कि 
खुदा की शायद यही रज़ा थी कि मैं तुम्हारे बिना, 
तुम मेरे बिना ही ज़िंदा रहो और हम एक दुसरे 
की यादो में तड़प कर जिये और मरे।
क्या तुम अकेले मरना चाहती हो? मेरे बगैर? 
मैंने हमेशा तुम्हारे फैसले को सर झुका कर 
तस्लीम किया है चाहो तो एक बार और 
आज़मा लो।

©Tarique Usmani #samay
मैं सोचता हूँ कि अब तुम्हारे मेरे ज़िन्दगी में न 
होने से सिर्फ दुःख और खालीपन ही तो है,
पर ज़िन्दगी तो चल ही रही है क्योंकि खुदा 
के बनाए हुए इस निजाम में कभी भी कुछ 
भी नहीं रुकता है। ज़िन्दगी चलती ही रहती है 
अगर रोकना  भी चाहे तो भी नहीं रूकती, 
सिवाय इसके कि उसके ख़त्म होने का वक़्त 
आ जाये और कभी कभी ये भी सोचता हूँ कि 
खुदा की शायद यही रज़ा थी कि मैं तुम्हारे बिना, 
तुम मेरे बिना ही ज़िंदा रहो और हम एक दुसरे 
की यादो में तड़प कर जिये और मरे।
क्या तुम अकेले मरना चाहती हो? मेरे बगैर? 
मैंने हमेशा तुम्हारे फैसले को सर झुका कर 
तस्लीम किया है चाहो तो एक बार और 
आज़मा लो।

©Tarique Usmani #samay