लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी, कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता। ©Sanjay Sharma Saras #राजस्थानी_सोरठा लुळ-लुळ करै जुहार, साजण सामी गोरड़ी, कद निरखै ! भरतार , दोयूं नैंण उडीकता। ©® संजय शर्मा 'सरस' अर्थ - अपने साजन के सामने बैठकर सजनी उसकी विनम्रतापूर्वक बलैया लेकर उसके दोनों नयन यह आशा करते हैं कि वे कब उसकी ओर निहारेंगे।