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शून्य से उठकर पहुंचूंगा उस ऊंचाई पर, सब देखोगे मुझ

शून्य से उठकर पहुंचूंगा उस ऊंचाई पर,
सब देखोगे मुझे उस बुलंदी पर,
फिर भी पांव होंगे धरती पर,
भूलूंगा नहीं किस मिट्टी से बना,
इस मिट्टी को सलाम ठोकते हुए,
एक दिन सब देखोगे मुझे,
कठिनाइयों के उस छोड़ पर,
जहां परिंदा भी पर मारने से डरे।।।

©Akhil Kael #boat to sailSaad Ahmad ( سعد احمد ) Krishnadasi Sanatani Anshu writer Satya Samiksha Janartha
शून्य से उठकर पहुंचूंगा उस ऊंचाई पर,
सब देखोगे मुझे उस बुलंदी पर,
फिर भी पांव होंगे धरती पर,
भूलूंगा नहीं किस मिट्टी से बना,
इस मिट्टी को सलाम ठोकते हुए,
एक दिन सब देखोगे मुझे,
कठिनाइयों के उस छोड़ पर,
जहां परिंदा भी पर मारने से डरे।।।

©Akhil Kael #boat to sailSaad Ahmad ( سعد احمد ) Krishnadasi Sanatani Anshu writer Satya Samiksha Janartha
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Akhil Kael

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