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"संतुलन" क्यों भूल गए संतुलन आवश्यक है सदा, अति ह

"संतुलन"

क्यों भूल गए संतुलन आवश्यक है सदा,
अति हो जाए दोहन की तभी आती विपदा।
चुन रहा हूं कांटो को जिसने जीवन पर आघात किया,
न जाने किस परिस्थिति में बीते कुछ साल
उन्हें अब भूल एक नए आज का आगाज़ किया।
सब कांटो को बहाया क्षमा के समंदर में
उम्दा नाविक बन अब उस पार जाना है,
किसने कब क्या कहा इन दकियानूसी जालों
में फस समय नहीं गवाना है।

बीते समय को लाना मेरे बस में नहीं
आने वाले समय को स्वर्णिम बनाना है,
लक्ष्य भेद सकु निज अथक प्रयासों से
आलोचकों के मुंह पर ताला लगाना है।
है नहीं अब मुझे उन चार लोगो का डर,
जो हावी थे मेरे मन में कुछ इस कदर।

न कोई रुकावट मुझे अब रोक सके
दृढ निश्चय को मैंने अब निज हथियार किया,
कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना
इस फ़लसफे को अब मैंने स्वीकार किया।।

-Rahul Roy 'Dev'© #kavita #Poetry #Life  #Lessons 

#InspireThroughWriting
"संतुलन"

क्यों भूल गए संतुलन आवश्यक है सदा,
अति हो जाए दोहन की तभी आती विपदा।
चुन रहा हूं कांटो को जिसने जीवन पर आघात किया,
न जाने किस परिस्थिति में बीते कुछ साल
उन्हें अब भूल एक नए आज का आगाज़ किया।
सब कांटो को बहाया क्षमा के समंदर में
उम्दा नाविक बन अब उस पार जाना है,
किसने कब क्या कहा इन दकियानूसी जालों
में फस समय नहीं गवाना है।

बीते समय को लाना मेरे बस में नहीं
आने वाले समय को स्वर्णिम बनाना है,
लक्ष्य भेद सकु निज अथक प्रयासों से
आलोचकों के मुंह पर ताला लगाना है।
है नहीं अब मुझे उन चार लोगो का डर,
जो हावी थे मेरे मन में कुछ इस कदर।

न कोई रुकावट मुझे अब रोक सके
दृढ निश्चय को मैंने अब निज हथियार किया,
कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना
इस फ़लसफे को अब मैंने स्वीकार किया।।

-Rahul Roy 'Dev'© #kavita #Poetry #Life  #Lessons 

#InspireThroughWriting