वक़्त के आयाम बदले हैं, वक़्त नहीं बदला... सिर्फ जीने के तरीक़े बदले हैं, नज़रिया नहीं बदला... ठहरजा थोड़ा और अपने घोसलें में, बस दिन गुजर रहे हैं, मगर बुरा दौर नहीं गुजरा... संदीप कोठार वक़्त के आयाम बदले हैं, वक़्त नहीं बदला... सिर्फ जीने के तरीक़े बदले हैं, नज़रिया नहीं बदला... ठहरजा थोड़ा और अपने घोसलें में, बस दिन गुजर रहे हैं,