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बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे है

        बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे हैं पर हर तरफ एक खामोशी ओर सन्नाटे भरा मौसम है, ना पटाखों की आवाज, ना आसमान में रॉकेट की रोशनी, ना घूमचकरी और फव्वारो के पास नाचते बच्चो का कलरव। बच्चे भी पटाखों की जिद्द करते करते मन मारकर हालात को स्वीकार कर बिना मिठाई खाये ही सो गए।
लेकिन ये मौसम जितना खामोश दिख रहा उतना है नही 
बहुत से दिलो मे बहुत से प्रश्नों का शोर शराबा है
आखिर कैसे चुनाव जितने पर, क्रिकेट का नाकुछ सा मैच जितने, बॉलीवुड के भाँडो के अवॉर्ड शो हो , या एक नशेड़ी को जमानत मिलने पर यही पटाखे इको फ़्रेंडली या पॉल्युशन फ्री हो जाते हैं ?
कैसे आज पटाखों की आवाज से जानवरो को पीड़ा हो रही है ओर रोज बूचड़खानों में जानवर खुशनुमा माहौल में रक्त की होली बिना किसी पीड़ा के खेल लेते हैं?,
 कैसे आज पटाखों से प्रदूषण हो जाता है और रोज होते देशो के शक्ति प्रदर्शन, युद्धाभ्यास, नए साल के जश्न, या फिर जलती पराली से वायु में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती जा रही है ?
लेकिन दिल मे एक बदलाव की आशा है शायद आएगा एक दिन जिस दिन कुछ ऐसे ही  पागल जिनके मन में प्रश्न उठते हैं उनका जमीर आवाज लगाएगा ओर मन के सवाल जुबान पर आएंगे। सत्ता को योग्य लोग सम्भालेंगे ओर इस देश की काया पलट होगी। लेकिन ये तब तक सम्भव नही जब तक योग्य ओर शिक्षित लोग खूद को राजनीति से दूर रखने का प्रयास करते रहेंगे। I
        बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे हैं पर हर तरफ एक खामोशी ओर सन्नाटे भरा मौसम है, ना पटाखों की आवाज, ना आसमान में रॉकेट की रोशनी, ना घूमचकरी और फव्वारो के पास नाचते बच्चो का कलरव। बच्चे भी पटाखों की जिद्द करते करते मन मारकर हालात को स्वीकार कर बिना मिठाई खाये ही सो गए।
लेकिन ये मौसम जितना खामोश दिख रहा उतना है नही 
बहुत से दिलो मे बहुत से प्रश्नों का शोर शराबा है
आखिर कैसे चुनाव जितने पर, क्रिकेट का नाकुछ सा मैच जितने, बॉलीवुड के भाँडो के अवॉर्ड शो हो , या एक नशेड़ी को जमानत मिलने पर यही पटाखे इको फ़्रेंडली या पॉल्युशन फ्री हो जाते हैं ?
कैसे आज पटाखों की आवाज से जानवरो को पीड़ा हो रही है ओर रोज बूचड़खानों में जानवर खुशनुमा माहौल में रक्त की होली बिना किसी पीड़ा के खेल लेते हैं?,
 कैसे आज पटाखों से प्रदूषण हो जाता है और रोज होते देशो के शक्ति प्रदर्शन, युद्धाभ्यास, नए साल के जश्न, या फिर जलती पराली से वायु में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती जा रही है ?
लेकिन दिल मे एक बदलाव की आशा है शायद आएगा एक दिन जिस दिन कुछ ऐसे ही  पागल जिनके मन में प्रश्न उठते हैं उनका जमीर आवाज लगाएगा ओर मन के सवाल जुबान पर आएंगे। सत्ता को योग्य लोग सम्भालेंगे ओर इस देश की काया पलट होगी। लेकिन ये तब तक सम्भव नही जब तक योग्य ओर शिक्षित लोग खूद को राजनीति से दूर रखने का प्रयास करते रहेंगे। I
adityafogat2878

Aditya Fogat

New Creator

बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे हैं पर हर तरफ एक खामोशी ओर सन्नाटे भरा मौसम है, ना पटाखों की आवाज, ना आसमान में रॉकेट की रोशनी, ना घूमचकरी और फव्वारो के पास नाचते बच्चो का कलरव। बच्चे भी पटाखों की जिद्द करते करते मन मारकर हालात को स्वीकार कर बिना मिठाई खाये ही सो गए। लेकिन ये मौसम जितना खामोश दिख रहा उतना है नही बहुत से दिलो मे बहुत से प्रश्नों का शोर शराबा है आखिर कैसे चुनाव जितने पर, क्रिकेट का नाकुछ सा मैच जितने, बॉलीवुड के भाँडो के अवॉर्ड शो हो , या एक नशेड़ी को जमानत मिलने पर यही पटाखे इको फ़्रेंडली या पॉल्युशन फ्री हो जाते हैं ? कैसे आज पटाखों की आवाज से जानवरो को पीड़ा हो रही है ओर रोज बूचड़खानों में जानवर खुशनुमा माहौल में रक्त की होली बिना किसी पीड़ा के खेल लेते हैं?, कैसे आज पटाखों से प्रदूषण हो जाता है और रोज होते देशो के शक्ति प्रदर्शन, युद्धाभ्यास, नए साल के जश्न, या फिर जलती पराली से वायु में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती जा रही है ? लेकिन दिल मे एक बदलाव की आशा है शायद आएगा एक दिन जिस दिन कुछ ऐसे ही पागल जिनके मन में प्रश्न उठते हैं उनका जमीर आवाज लगाएगा ओर मन के सवाल जुबान पर आएंगे। सत्ता को योग्य लोग सम्भालेंगे ओर इस देश की काया पलट होगी। लेकिन ये तब तक सम्भव नही जब तक योग्य ओर शिक्षित लोग खूद को राजनीति से दूर रखने का प्रयास करते रहेंगे। I #Diwali #Enjoy #Hindu #yqbaba #yqdidi #dipawali #katusatyaa