तेरे जाने का गम नहीं,बस थोड़ा उदास हूँ, पर सुकून ये है कि अब अपने पास हूँ। ना सुबह की गुड़मोर्निंग की चिंता है, ना किसी से मिलने की जल्दी।। अब अपनी चाय खुद अपने लिए बनाता हूँ और खुद से बात करते करते खुद पी जाता हूँ।। सागर के किनारे आज भी लहरें गिनता हूँ, और खुद से शर्त लगा के खुद ही जीत जाता हूँ। कैनवास पे रंग भरपूर साथ निभाते हैं,मगर अब मैं खुद अपनी ही तस्वीर बना पाता हूँ। रेत का घर आज भी बनाता हूँ, फिर खुद ही उसे गिरा कर खुद से ही लड़ लेता हूँ। खुद अपने लिए कलम उठाता हूँ, मगर कुछ लिख नहीं पाता हूँ। सच तो यह है कि कितनी भी कोशिश करे तेरे बिना जीने की, पर जी नहीं पाता हुँ। लोग कहतें है कि पागल है,पर सच तो ये है कि मै तेरे बिना कुछ समझ नहीं पाता हुँ तेरे जाने का गम नहीं,बस थोड़ा उदास हूँ, पर सुकून ये है कि अब अपने पास हूँ। जमाना हो गया बन्द हुए इस ताबूत में, लाख कोशिश करू पर उठ नहीं पाता हुँ। लोग अक्सर कहते हैं कि मर गया एक दीवाना था,सच तो ये है कि मैं मोत में भी तेरे बिना जिये जाता हूँ।। तेरे जाने का गम नहीं,बस थोड़ा उदास हूँ, पर सुकून ये है कि अब अपने पास हूँ। #अंकित सारस्वत # #तेरे जाने का गम नहीं #