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मेरी यह रचना उस चिट्ठी को समर्पित है जो मुझे यहीं

मेरी यह रचना उस चिट्ठी को समर्पित है जो मुझे 
यहीं इस #NOJOTO पर एक पोस्ट के रूप में दिखी थी।
मुझे उस चिट्ठी के भाव इतने पसंद आएं कि बस उसचिट्ठी के शब्दों को
आप तक पहुँचाने के लिए अपनी कल्पना से
गुलमोहर की रचना कर पाया।

कहानी में आगे आपको वह चिट्ठी हूबहू पढ़ने को मिल जाएगी।

मेरी इस कहानी को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं
 उम्मीद है आपको पसंद आएगी जब भी इस पार्क में टहलने आता हूँ, चमककर वो चेतन चेहरा सामने आ हीं जाता है।
उसे यहीं.. इसी पार्क में जॉगिंग करते देखा करता था। नव्या थी, उम्र यही कोई 24-25 बरस के आसपास की रही होगी, वैसे सच कहूँ तो मेरी वह उम्र बची नहीं कि किसी यौवना को ताडूँ पर एक अजीब सा आकर्षण था उसमें, वो मुझे दिख हीं जाती थी।

जीवन के इस अंतिम चरण में अनजान लोगों के साथ दो पग चलने में भी डर लगता है वैसे भी रिटायर आदमी जो बरसों पहले विधुर हो चुका हो, थोड़ा चिड़चिड़ा हो हीं जाता है। दुनिया से कटकर रहने का आदि हो चुका मैं, अब अपने
मेरी यह रचना उस चिट्ठी को समर्पित है जो मुझे 
यहीं इस #NOJOTO पर एक पोस्ट के रूप में दिखी थी।
मुझे उस चिट्ठी के भाव इतने पसंद आएं कि बस उसचिट्ठी के शब्दों को
आप तक पहुँचाने के लिए अपनी कल्पना से
गुलमोहर की रचना कर पाया।

कहानी में आगे आपको वह चिट्ठी हूबहू पढ़ने को मिल जाएगी।

मेरी इस कहानी को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं
 उम्मीद है आपको पसंद आएगी जब भी इस पार्क में टहलने आता हूँ, चमककर वो चेतन चेहरा सामने आ हीं जाता है।
उसे यहीं.. इसी पार्क में जॉगिंग करते देखा करता था। नव्या थी, उम्र यही कोई 24-25 बरस के आसपास की रही होगी, वैसे सच कहूँ तो मेरी वह उम्र बची नहीं कि किसी यौवना को ताडूँ पर एक अजीब सा आकर्षण था उसमें, वो मुझे दिख हीं जाती थी।

जीवन के इस अंतिम चरण में अनजान लोगों के साथ दो पग चलने में भी डर लगता है वैसे भी रिटायर आदमी जो बरसों पहले विधुर हो चुका हो, थोड़ा चिड़चिड़ा हो हीं जाता है। दुनिया से कटकर रहने का आदि हो चुका मैं, अब अपने
arsh1145292537229

Arsh

Bronze Star
New Creator

जब भी इस पार्क में टहलने आता हूँ, चमककर वो चेतन चेहरा सामने आ हीं जाता है। उसे यहीं.. इसी पार्क में जॉगिंग करते देखा करता था। नव्या थी, उम्र यही कोई 24-25 बरस के आसपास की रही होगी, वैसे सच कहूँ तो मेरी वह उम्र बची नहीं कि किसी यौवना को ताडूँ पर एक अजीब सा आकर्षण था उसमें, वो मुझे दिख हीं जाती थी। जीवन के इस अंतिम चरण में अनजान लोगों के साथ दो पग चलने में भी डर लगता है वैसे भी रिटायर आदमी जो बरसों पहले विधुर हो चुका हो, थोड़ा चिड़चिड़ा हो हीं जाता है। दुनिया से कटकर रहने का आदि हो चुका मैं, अब अपने #Love #story #Emotion #SAD #Arsh