वह बहुत जोर से चीख़ी थी चिल्लाई थी पर उसकी आवाज अर्श तक नहीं पहुंच पाई थी हिम्मतवाली थी पर इतने हैवानों से लड़ नहीं पाई थी आखिर वह अपनी अस्मत दरिंदे से नहीं बचा पाई थी । आवाज़ पहुंचती भी कैसे ? वह सातवें आसमान पर जो रहता है अपनी मर्जी से ताकता और झांकता है । आज भी तो उसकी वही आवाज थी जो तेरे भजन गाने में निकलती थी वही करुणा थी जो तुझसे दुआएं मांगने में बरसती थी । आज जो पेशानी जलाई गई वही तो तेरी बारगाह में झुकती थी यह वही मस्तक था जो तेरे मंदिर में झुकता था । आज भी वही हाथ तेरी तरफ उठे होंगे जिसने तेरे दर पर घंटियां बजाईं और तेरी तसबियां पढ़ी । अपनी खुशनुमा जिंदगी के लिए उसने तेरे रोज़े भी रखे थे दुखों के वार से बचने के लिए सोमवार शुक्रवार व्रत भी रखे थे । लुटी अस्मत के साथ तेरा विश्वास भी बिखरा पड़ा है हे ईश्वर तू आंखें बंद किए कौन से कोने में खड़ा है । जाग जा वरना तेरा नाम सिर्फ पन्नों में सिमट जाएगा कुछ आस्था और अक़ीदा जो ज़रा बचा है जल्द ही वह भी मिट जाएगा । . . . . . . . जितू . . . . . . ©Jitu Redium art भगवान् हे कहा रे तु #vacation