इख़्तियार उल्फत जब हद से गुजर गया होगा नज़्म नहीं फकत सांसों की खुशबू से एक नायाब गुलज़ार सज गया होगा । कम फासलों में उत्पन्न हया से रुखसार निखर गया होगा निगाह_ए_जमाल में डूब वो आशिक कितना बिखर गया होगा । देख आसमां भी खूब मेहरबां हुआ होगा यकीं है मुझे दोनों उस रात खूब भींगे होंगे । सुर्ख लबों पे शबनमी बूंदे जो गिरी होगी मयकदा भी लबों के जाम के आगे फीकी पड़ गई होगी । बाहों के आगोश में वो वस्ल की रात गुजरी होगी चांदनी रातों में एक अलग रोनक फैली होगी चांद ,सितारे जमीं आकाश सब ने खूब दिलचस्पी दिखाई होगी । जलन में वो सूरज भी जल्द निकल आया होगा सवेरा होते हो वो दोनों कहां गय होंगे भले वो अलग अलग हो गए होंगे पर जिंदगी के पन्नों पे तो वो वस्ल की रात जरूर उकड़ गए होंगे । मेरी स्याही भी प्रेम में डूब चली आह क्या उनको वस्ल की रात हुई होगी। #वस्ल_की_रात #मेरे_जज्बात008 #जज्बाती_अल्फाज़ #romanticwriter #yqdidi #yqbaba #kunu