कविता - "सीखो " - फूलों से तुम हॅसना सीखो , भ॔वरो से नित गाना । वृक्षों की डाली से सीखो , फल आये झुक जाना , सूरज की किरणों से सीखो , जगना और जगाना । लता और पेड़ो से सीखो , सबको गले लगाना । दूध और पानी से सीखो , मिल जुल कर सबसे रहना । अपनी पृथ्वी से सीखो , हॅस हॅस कर सब कुछ सह जाना । कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना