तेरी याद मुझे जब सताती है तेरी याद मुझे जब - जब सताती है, मेरे मन को बहुत चिंतित कर जाती है, प्यार करने में कोई बुराई नहीं है, मगर मोहब्बत भी कभी - कभी धोखा दे जाती है । बहुत बार तो एक दूसरे से प्यार करना भी, एक तरह की मजबूरी बन जाती है, ऐसी स्थिति तब आ जाती है, जब दो प्रेमियों के बीच कोई दरार पड़ जाती है । मुझे क्या पता था की तुम बिना बताए, इस तरह से छोड़कर चली जाओगी, जिन्दगी को तन्हाँ करके मेरी, मुझे अपना पता तक नहीं बतलाओगी । मुझे तो भीतर से लग रहा है अब यही, तुम तो किसी और को अपना बनाओगी, मेरा प्यार किसी दूसरे व्यक्ति को अर्पण करके, अब उसकी दुनिया बसाओगी । हम तो पता नहीं जिन्दा रहेंगे या नहीं, तेरी बेरूखी हम पर ऐसा कहर ढ़ायेगी, मुझे क्या पता था तू मेरे निश्चल प्रेम को, इतना ज्यादा नुकसान पहुँचाएगी । मुझे तो ये आभास तक नहीं हुआ कभी, की तू ही एक दिन मेरा सुख चैन चुराएगी । ऐसा दिन भी आयेगा जीवन में, जब तू ही सपनों में आकर मेरी नींदे उड़ाएगी । बड़ी मन्नतों से पाया था मैंने तुझे और तू ही मेरे साथ दगा कर गई, मेरी सारी उम्मीदों और योजनाओं को मेरे जीते - जी, निष्फल कर गई । अब तो बस यही रह गया है, तुझे भूल जाऊँ या फिर याद करता रहूँ, तेरी बेवफाई के मातम में, अपना अनमोल जीवन यूँ ही बर्बाद करता रहूँ । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # तेरी याद मुझे जब सताती है