दुनिया की दृष्टि में हो चुका हूं बेकार मैं, लेकिन खुद की दृष्टि में हूं विष्णु का अवतार मैं फोन दूर होता तो मत्स्य सा तड़पता,सामान लाने भेजो तो कूर्म के जैसा चलता, वराह बनता मै एक ही जगह पड़ा रहता घंटे चार मै, दुनिया की दृष्टि मै हूं चुका बेकार लेकिन खुद को समझता विष्णु का अवतार मैं ।। शरीर मेरा नर जैसा, सिंह जैसा है मेरा सोना, एक पैर सीढ़ी छोड़ कर चड़ता मै तो बन जाता हूं वामन सा बौना, परशुराम बन जाता हूं जब उठता है हथियार मै, दुनिया की दृष्टि मै हूं चुका बेकार लेकिन खुद को समझता विष्णु का अवतार मैं ।। संकटों में जब मुस्कुराता तब खुद को लगता मै राम, मिठाई चुरा कर खाता, तो समझता खुद को घनश्याम, बुद्ध की तरह महत्व समझे जो करता उसका इंतज़ार मै, दुनिया की दृष्टि मै हूं चुका बेकार लेकिन खुद को समझता विष्णु का अवतार मैं ।। नौ अवतार हो चुके, कल्कि की झांकी अभी बाकी है, उससे तरह मुझमें भी अब दसवीं आस बाकी है, दसवां अवतार लेने को हो रहा तैयार मै, दुनिया की दृष्टि मै हूं चुका बेकार लेकिन खुद को समझता विष्णु का अवतार मैं ।। #vishnu #ram #krishna #yqbaba #poem #कहानीसोरहीहै #change #hope