/कुछ नही\ मेरे सवालों क जवाब में कह देती कुछ नही तेरे लबों की खामोशी क्या है यूँ ही क्या उठती नही तरंगें कोई याँ गुजरता वक्त तेरा ऐसे ही रहस्यों से है घिरी तेरा कहना कुछ नही। #कुछनहीं