देखा मैन उसे उद्गमभूमि के पास, बैठा था वो श्रीष पकड़ हो हताश, उर के किसी कोने में शेष थी तनिक सी आश, अभी होगी बरसात! कोड़ेगा, खोदेगा इसको ऐसे तो नहीं छोड़ेगा, धराधर का मुख उद्गमभूमि की ओर मोड़ेगा, लगेंगे शस्य होंगी खूब पैदावार, ना माना था, ना मानेगा वो कभी हार! हा हो गया था थोड़ा हताश, उर के किसी कोने में शेष थी तनिक सी आश, अभी होगी बरसात! ©thakur sanghrash singh #supportforfarmer #sanghrashsingh #kisan #drkumarvishvash OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)