वर्षा सी प्रेमिका वर्षा की यह बूंदें जब गिरती हैं धरा पर मृदंग बजते हैं प्रकृति के सम्मोहित करते हैं मुझे ये तेरे रस भरे स्वर की तरह ये काली घटाएं घेरती हैं हृदय को मेरे तेरे घने केशों की तरह और कागज़ के नाव की तरह डूबता है मेरा हृदय तेरे नेत्र सागर में उस सुगंधित समीर की तरह मुझे तेरे सांसों की सुगंध आती है और यह हरे वन याद दिलाते हैं मुझे तेरे परिपूर्ण यौवन के...।। वर्षा सी प्रेमिका वर्षा की यह बूंदें जब गिरती हैं धरा पर मृदंग बजते हैं प्रकृति के सम्मोहित करते हैं मुझे ये तेरे रस भरे स्वर की तरह ये काली घटाएं घेरती हैं