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हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - -

हे नारी न रो अबला बन
- - - - - - - - - - - - - - - 
बहुत किया विलाप रुदन
न भर अश्रु के कूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

तेरे करुण रुदन से नहीं है
किसी का हृदय पिघलता।
भस्म न करेगी किसी पापी को
तेरी श्वासों की शीतलता।।
अबला नहीं बन तू सबला अब
अपनी शक्ति को पहचान।
जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे
रख दे उस पे तू कृपाण।।
जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब
कर डाल तू उसे कुरूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी
उनको भी तू पहचान।
मीठी बातों में हैं जो फँसाते
समझ तुझे नादान।।
मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति
का करना विस्तार।
ले तलवार बनकर क्षत्राणी
दे उनके सीने में उतार।।
पापी को दण्डित करना भी
है एक धर्म स्वरूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

बहुत किया विलाप रुदन
न भर अश्रु के कूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।
 वो सुबह कब आएगी,
जब एक समाज के तौर पर हम औरतों को उनके जीने का बुनियादी हक़ दे सकेंगे। 
हैदराबाद की घटना ने दिल दहला दिया है। हृदय ख़ून के आँसू रो रहा है। अधिक कुछ कहा नहीं जा सकता। केवल अपने हृदय में झाँका जा सकता है। आख़िर हम क्या थे और क्या होते जा रहे हैं!
#सुबहकबआएगी #collab #yqdidi
   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#justice #न्याय
हे नारी न रो अबला बन
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बहुत किया विलाप रुदन
न भर अश्रु के कूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

तेरे करुण रुदन से नहीं है
किसी का हृदय पिघलता।
भस्म न करेगी किसी पापी को
तेरी श्वासों की शीतलता।।
अबला नहीं बन तू सबला अब
अपनी शक्ति को पहचान।
जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे
रख दे उस पे तू कृपाण।।
जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब
कर डाल तू उसे कुरूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी
उनको भी तू पहचान।
मीठी बातों में हैं जो फँसाते
समझ तुझे नादान।।
मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति
का करना विस्तार।
ले तलवार बनकर क्षत्राणी
दे उनके सीने में उतार।।
पापी को दण्डित करना भी
है एक धर्म स्वरूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।

बहुत किया विलाप रुदन
न भर अश्रु के कूप।
हे नारी न रो अबला बन
धर काली का रूप।।
 वो सुबह कब आएगी,
जब एक समाज के तौर पर हम औरतों को उनके जीने का बुनियादी हक़ दे सकेंगे। 
हैदराबाद की घटना ने दिल दहला दिया है। हृदय ख़ून के आँसू रो रहा है। अधिक कुछ कहा नहीं जा सकता। केवल अपने हृदय में झाँका जा सकता है। आख़िर हम क्या थे और क्या होते जा रहे हैं!
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   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#justice #न्याय

वो सुबह कब आएगी, जब एक समाज के तौर पर हम औरतों को उनके जीने का बुनियादी हक़ दे सकेंगे। हैदराबाद की घटना ने दिल दहला दिया है। हृदय ख़ून के आँसू रो रहा है। अधिक कुछ कहा नहीं जा सकता। केवल अपने हृदय में झाँका जा सकता है। आख़िर हम क्या थे और क्या होते जा रहे हैं! #सुबहकबआएगी #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #justice #न्याय