श्वेत-श्यामल मेघ दल आज कैसे अकुला रहे, प्रिय मिलन की आस में आज अश्रु बहते हैं चमकती दामनियों की थाप पर नृत्य दिखा रहे। सीप में रखे थे अब तक, गोल मोती झरते हैं खोल दिए हों स्याह केश मानो किसी तरुणी के, इठला रही निज रूप पर धरा बनकर नवयुवती, जलद अंबर पर ऐसा मनोरम रूप दिखा रहे ।१। आज दो प्रेमी बरसों बाद आलिंगन करते हैं।२। रोयें आज जी भर या दिखा लें हृदय की प्रसन्नता, देख कर यह अलौकिक मिलन संपूर्ण जगत हर्षाता, रह-रह कर अधरों पर आती प्रेमियों की व्याकुलता, मुस्काते वृक्ष,थिरकती नदियाँ हर कोई शोर मचाता, उतर गया है अनंत नीचे वसुंधरा का स्पर्श पाने को मृतप्राय धरती को मिल गई हो मानो फिर से साँसे, ठिठकते पग, कभी वश में नहीं रह पाती आतुरता।३। जब-जब वारिद प्रेम वश में धरणी पर जल बरसाता ४ #pnpabhivyakti #pnphindi #pnpabhivyakti24