वक़्त कब वक़्त को वक़्त देने लगा। स्वार्थी आदमी अब तो होने लगा,। चमन में पूर्व की ओ हरियाली कहां। पुष्प - गुच्छक कागज का जबसे होने लगा। अर्जुन