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बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली तुम


बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली
तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली,
साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, 
माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली, हां और वो बिछड़ने वाली भी
अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है
छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में
जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए
थोड़ा जज्बातों और तन्हाई की खाद भी मिला दी ऊपर से
अब पौधा अच्छे से फलेगा फूलेगा
रोज़ अश्कों का छिड़काव होता है
गुज़रे वक़्त की धूप छांव भी दिखाती रहती
जब कोई याद बड़ी हो गई तो उसे तोड़कर कमरे के गुलदान में सजा लिया
महक उठता है कमरा उस लम्हे की खुशबू से
कर देता है अंतर्मन भरा भरा सा
याद तुम्हारी और गहरी कर लेती हूं
और गुनगुनाती फिर चल पड़ती हूं
छत की ओर जहां रखा है यादों का गमला
तोड़ने के लिए फिर एक लम्हा
इस बार बिस्तर पर बिछाना है 
तुम्हारी वाली साइड में जिधर तुम्हें सोना पसंद था अपनी वो यादों वाला गमला🍁
बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली
तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली,
साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, 
माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली और हां वो बिछड़ने वाली भी
अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है
छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में
जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए

बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली
तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली,
साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, 
माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली, हां और वो बिछड़ने वाली भी
अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है
छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में
जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए
थोड़ा जज्बातों और तन्हाई की खाद भी मिला दी ऊपर से
अब पौधा अच्छे से फलेगा फूलेगा
रोज़ अश्कों का छिड़काव होता है
गुज़रे वक़्त की धूप छांव भी दिखाती रहती
जब कोई याद बड़ी हो गई तो उसे तोड़कर कमरे के गुलदान में सजा लिया
महक उठता है कमरा उस लम्हे की खुशबू से
कर देता है अंतर्मन भरा भरा सा
याद तुम्हारी और गहरी कर लेती हूं
और गुनगुनाती फिर चल पड़ती हूं
छत की ओर जहां रखा है यादों का गमला
तोड़ने के लिए फिर एक लम्हा
इस बार बिस्तर पर बिछाना है 
तुम्हारी वाली साइड में जिधर तुम्हें सोना पसंद था अपनी वो यादों वाला गमला🍁
बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली
तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली,
साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, 
माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली और हां वो बिछड़ने वाली भी
अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है
छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में
जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए