रंजिशे किसी से कोई बनाता नहीं, रांजिशे किसी दौर मे

रंजिशे किसी से कोई बनाता नहीं,
रांजिशे किसी दौर में बस हो जाती है।

लोगो के रवैया से बेबाक रहे, इंसानों से नहीं।
फर्क सिर्फ समय, दौर,जज्बातो से हो जाती है।

हमे चाहिए कि, इंसान-ए-कामिल सिर्फ बने नहीं,
गुलशन को मुहब्बत से सींचे, नफरत से नहीं,
बहरहाल,तालिम जैसी ही इंसानी हुकूमत हो जाती है।

©Anuradha Sharma #ranjish #gilashikwa#mohabbat #yqurdupoetry #yqquotes #yqbaba #yqdidi 

#sunrays
रंजिशे किसी से कोई बनाता नहीं,
रांजिशे किसी दौर में बस हो जाती है।

लोगो के रवैया से बेबाक रहे, इंसानों से नहीं।
फर्क सिर्फ समय, दौर,जज्बातो से हो जाती है।

हमे चाहिए कि, इंसान-ए-कामिल सिर्फ बने नहीं,
गुलशन को मुहब्बत से सींचे, नफरत से नहीं,
बहरहाल,तालिम जैसी ही इंसानी हुकूमत हो जाती है।

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