तिरंगा ( कविता) By KM Jaya तिरंगा तिरंगा हैं आँख वो तेरा ही दर्शन करुँ, है शीश वो जो तिरंगे वंदन करे, है सुर वो जो तेरी विजय का ही गान गाए, हैं हाथ वो जो दूसमनो का सिर काटे तिरंगे के खातिर ।