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तिरंगा ( कविता) By KM Jaya तिरंगा तिरंगा हैं आँख

 तिरंगा ( कविता)  By KM Jaya
तिरंगा

तिरंगा
हैं आँख वो तेरा ही दर्शन करुँ,
है शीश वो जो तिरंगे वंदन करे, 
है सुर वो जो तेरी विजय का ही गान गाए,
हैं हाथ वो जो दूसमनो का सिर काटे तिरंगे के खातिर ।
 तिरंगा ( कविता)  By KM Jaya
तिरंगा

तिरंगा
हैं आँख वो तेरा ही दर्शन करुँ,
है शीश वो जो तिरंगे वंदन करे, 
है सुर वो जो तेरी विजय का ही गान गाए,
हैं हाथ वो जो दूसमनो का सिर काटे तिरंगे के खातिर ।
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KM Jaya

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तिरंगा ( कविता) By KM Jaya तिरंगा तिरंगा हैं आँख वो तेरा ही दर्शन करुँ, है शीश वो जो तिरंगे वंदन करे, है सुर वो जो तेरी विजय का ही गान गाए, हैं हाथ वो जो दूसमनो का सिर काटे तिरंगे के खातिर ।