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हंसते-हंसते ही ज़िन्दगी रुठ गई, शायद ज़िन्दगी कुछ

हंसते-हंसते ही ज़िन्दगी रुठ गई, शायद ज़िन्दगी कुछ वादे तोड़ गई
लौट कर आने की आस में उसके, "लंबे इंतजार" के साथ हर रोज मेरी शाम ढली 🎀 Challenge-373 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 2 पंक्तियों अथवा 20 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
हंसते-हंसते ही ज़िन्दगी रुठ गई, शायद ज़िन्दगी कुछ वादे तोड़ गई
लौट कर आने की आस में उसके, "लंबे इंतजार" के साथ हर रोज मेरी शाम ढली 🎀 Challenge-373 #collabwithकोराकाग़ज़

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