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यहीं तक था सफर अपना ए मेरे हमराह, हँसते हँसते जुदा

यहीं तक था सफर अपना ए मेरे हमराह,
हँसते हँसते जुदा होना , ये भी तो एक इश्क़ है।

आग से परवाने का रिश्ता ना पूछिये,
जलते जलते फना होना , ये भी तो एक इश्क़ है । ye bhi ro ek ishq hai.. #kavishala
यहीं तक था सफर अपना ए मेरे हमराह,
हँसते हँसते जुदा होना , ये भी तो एक इश्क़ है।

आग से परवाने का रिश्ता ना पूछिये,
जलते जलते फना होना , ये भी तो एक इश्क़ है । ye bhi ro ek ishq hai.. #kavishala
vijaygautam1314

Vijay Gautam

New Creator

ye bhi ro ek ishq hai.. #kavishala #Poetry