जुबां के खूबसूरत बोल और लब्जो कि टेढ़ी चाल वह हवस को क़रीने से इश्क़ बता देता है अश्क,खैरियत,दर्द,परवाह से वास्ता कहां हैं उसका बिस्तर की सिलवटों से हर बार जता देता है सवाल और फिर सवाल और बेवजह मचल जाना रंग,ढंग,शाज देख एक बार फ़िर सम्हल जाना दरवाज़े के पीछे के के लाखों सिकन शिकवे एक मुस्कुराहट के पीछे सादगी मे बदल जाना बे आबरू करने लग जाते है मचलते अल्फ़ाज़ और आंसू इश्क़,दवा,इलाज, हमदर्दी महफिलों मे बयां होती है किस्से बहुत आए मेरे झूठे परवान ए उलफत के काश!कोई तो समझता अन्दर से कितना रोती है बाबा आपकी गुड़िया अब मचलती क्यू नही गिर गई है तो अब सम्हलती क्यू नही कोई मलाल है या जिम्मेदारी पूछो ना बाबा ये झूठी तस्वीर अब बदलती क्यू नही खनकते सिक्के बहुत उलझा रहें है सांसे चुभने क्यू लगी हैं मां आंचल समेट लिया या झोके ही तेज थे ज़िंदगी बुझने क्यू लगी है मां बाबा को देर सबेर बता देना फूल सी कोमल थी नोचा कैसे गया है कहानी नहीं सच है बता देना मां हर रोज बाजुओ में दबोचा कैसे गया है!!!! #maritalrape #nojotoindia #poetrywithsandhya #poetryunrhymed#women