ठहर सी गई हैं जिंदगी मेरी,आकर कोई गम बांट ले,, कर के बैठ गए हजारों मस्सकत जीत की, कोई हार का वो पन्ना छांट दे।।। गम हैं कि हो ही नहीं रहा कम,,, छुप छुप के आखिर कितनी सिसकियां भरे हम।। लाखो दुखो से बड़ा ये मर्म सता रहा हैं,, छोड़ दिया था किस्मत ने साथ वक्त का वो पहर बता रहा हैं।। कोई डूबा हैं हर पल जश्न में,, कोई हार का गम उठाए जा रहा हैं।। अजीब सा हाल हैं दिल का ना हंसने का दिल हैं न रोया जा रहा हैं।। शायद बड़े होने की खता कर बैठे,, इसलिए हाल ’ए’ दिल किसी से कहा नहीं जा रहा हैं।। लाखो मौके आएंगे जीत के ये बात दिमाग कह रहा हैं बार बार, क्या करू हार का ये बोझ उठाया नही जा रहा हैं।। 🥺🥺🥺🥺 ©KAJAL The poetry writer feeling sad no words just feel it #feelings