गुरु की परिभाषा, बस ज्ञान की अभिलाषा। खोजोगे जब तुम गुरु, सीखना कब हो शुरू। जो नया कुछ भी सीखा दे, जो थोड़ा अग्रसर बना दे। सिख लों उस पल सदा, कर अहम को विदा। ज्ञान पूरा हो कभी ना, ये तो सिंधु से भी गहरा, जितना डूबोगे भंवर में। खिचेगा ये और उतना।। बाल्य,तिनका,चींटी सीखा दे, चीज छोटी हो कोई ना। हर ओर प्रभु की जैसे माया, पत्थर में भी हैं गुरु समाया।। #गुरु की परिभाषा.......