मन...... धूल की कई परतें जमा रखी हैं मन की झील पर टूटे ख्वाबों की कितनी जलकुंभियां उग आई हैं! बारिश का पानी भी इसे कैसे साफ कर पाएगा ? क्षोभ, उदासीनता,और निस्सारता की सघन काई है। इस झील की निर्मलता का दायित्व स्वयं उठाना होगा हिम्मत कर तुम्हें ; एक बार इसमें उतर ही जाना होगा एक-एक करके मन का हर अवांछित भाव हटाना होगा समय लगेगा और श्रम भी, पर तुम निश्चित कर पाओगे। थोड़े में ही थक मत जाना, तुम्हें पूरा साफ करना है जानते हो ना, जलकुंभी का स्वभाव तेज बढ़ना है ध्यान रहे यह सतत प्रक्रिया है, नजर रखनी होगी खर पतवार न जमने पाए, मन की कद्र करनी होगी। धूल की कई परतें जमा रखी हैं मन की झील पर टूटे ख्वाबों की कितनी जलकुंभियां उग आई हैं! बारिश का पानी भी इसे कैसे साफ कर पाएगा ? क्षोभ,उदासीनता,और निस्सारता की सघन काई है। #jayakikalamse