[एक माँ_बाप का प्यार]✍️✍️ एक माँ_बाप अपनी कमाई का आधे से ज्यादा पैसा अपनी आधी ज़िन्दगी में अपने बच्चों में ख़र्च कर देता है लेकिन वहीं बच्चे बड़े होकर जब नाम, शोहरत और पैसा कमाने लगते हैं तो सबसे ज्यादा खुशी उनके माँ_बाप को ही होती है मगर माँ_बाप कभी खुश नहीं रहते हैं क्योंकि बेटों के नज़र में तो माँ_बाप एक बुढ़ापे का सिर दर्द हैं बुढ़ापे में माँ_बाप बिस्तर गंदा क्या कर देते हैं वहीं बच्चे पड़ोसियों से दिखाते हैं और माँ_बाप को बुरा भाला कहते हैं और अपने माँ_बाप की कमियों (गलतियों) को एक_एक कर उन्हें याद दिलाते हैं ऐसा करने वालों को ना दुनिया में सुकून मिलता है ना आख़िरत में कोई जगह मिलती है माँ_बाप की खिदमत करना सिखों मेरे दोस्तो_मेरे साथियों वरना जिस दिन तुम माँ_बाप बनोगे तुम्हारें बच्चे भी वैसे ही तुम्हारें साथ सलूक करेंगे जैसे तुमनें अपने माँ_बाप के साथ बुढ़ापे में सलूक किया था जिन लोगों के माँ_बाप नहीं हैं कभी उनसे जाकर पूछना! उनकी दुनिया कितनी बिरानी सी लगती है उन्हें अपने ही समाज में बिन माँ_बाप का बच्चा कहा जाता है माँ_बाप बुढ़ापे का सिर दर्द नहीं हैं बल्कि उन्हीं के पैसों से बुढ़ापे में उनके बच्चे उन्हें दवा और दो वक़्त की रोटी खिलाते हैं • माँ_बाप अपने बच्चो की ख़ुशी के लिए अपनी कुर्बानी ही क्यों न देदे फ़िर भी उनके बच्चे अपने माँ_बाप का नाम ज़ुबान पर लेने से कतराते हैं • सोच बदलोगे तभी तुम्हारे अंदर का इंसान बदलेगा! ©Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ." #fog [ एक #माँ_बाप का #प्यार ]