ना मुझे तेरे छूटने भरम हुआ है , ना तुझे कभी पकड़ने की आस होती है दायरों के दरमियाँ हम रह गए हैं, आजादी की तरह ही तेरी तलाश होती है बातों में हमारी सदियाँ बीत जाए, मेरे लिए तेरी खामोशियाँ भी खास होती है बदल जाते हैं वक्त के नजारे, पर रूहानियत को हमेशा रूह कि प्यास होती है