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मैं भला किसी का अब और क्या होता, आधी ज़िन्दगी थी,

मैं भला किसी का अब और क्या होता,
आधी ज़िन्दगी थी, आधा मशवरा होता ।

(Please read the full poem in caption 👇) मैं भला किसी का अब और क्या होता,
आधी ज़िन्दगी थी, आधा मशवरा होता,

मुझे कोई इल्म नहीं मेरी मुस्कुराहट का,
गर इसकी सोच में होता तो कहीं बिखरा होता,

मैं जहन में हुजूम-ए-अफ़्कार लिए सो गया,
जगा होता तो जीने का मजा किरकिरा होता,
मैं भला किसी का अब और क्या होता,
आधी ज़िन्दगी थी, आधा मशवरा होता ।

(Please read the full poem in caption 👇) मैं भला किसी का अब और क्या होता,
आधी ज़िन्दगी थी, आधा मशवरा होता,

मुझे कोई इल्म नहीं मेरी मुस्कुराहट का,
गर इसकी सोच में होता तो कहीं बिखरा होता,

मैं जहन में हुजूम-ए-अफ़्कार लिए सो गया,
जगा होता तो जीने का मजा किरकिरा होता,
jnarayan2873

J Narayan

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