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जहाँ से हो के गुजरा था, वही फिर आ गया हूँ मै, जहा

जहाँ से हो के गुजरा था,
वही फिर आ गया हूँ मै, 
जहाँ मुझको न जाना था, 
वही फिर आ गया हूँ मै, 
मेरी मंजिल पुरानी थी,
 जिसे कभी भूल चुका था मै,
कभी दरिया ने जकड़ा था,
बडी मुश्किल से निकला था,
जिसे कभी भूल चुका था मै
वही क्यों लौट आया हूँ मै, 
मेरे वह दिल में आने की,
हसरत  साथ  लाया   है,
मेरी यह नाव अब फिर,
उसी मझधार में अटकी,
इसे अब पार करेगा कौन,
केवट  जा  चुका  था  वो, 
मुश्किल इन जो लहरों से,
डरकर भाग चुका था वो ।
जहाँ से हो के गुजरा था,
वही  फिर  आ गया  हूँ  मै, 
                           By Rajesh Rj #footsteps  Mohd Shadab shri om tomar Sanawrites_______  ऊषा माथुर yasmeen khan
जहाँ से हो के गुजरा था,
वही फिर आ गया हूँ मै, 
जहाँ मुझको न जाना था, 
वही फिर आ गया हूँ मै, 
मेरी मंजिल पुरानी थी,
 जिसे कभी भूल चुका था मै,
कभी दरिया ने जकड़ा था,
बडी मुश्किल से निकला था,
जिसे कभी भूल चुका था मै
वही क्यों लौट आया हूँ मै, 
मेरे वह दिल में आने की,
हसरत  साथ  लाया   है,
मेरी यह नाव अब फिर,
उसी मझधार में अटकी,
इसे अब पार करेगा कौन,
केवट  जा  चुका  था  वो, 
मुश्किल इन जो लहरों से,
डरकर भाग चुका था वो ।
जहाँ से हो के गुजरा था,
वही  फिर  आ गया  हूँ  मै, 
                           By Rajesh Rj #footsteps  Mohd Shadab shri om tomar Sanawrites_______  ऊषा माथुर yasmeen khan
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@RajeshRj

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