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मासूमियत सा चेहरा लेकर, मैं अब खुद को माफ करूं। सु

मासूमियत सा चेहरा लेकर, मैं अब खुद को माफ करूं।
सुनो... ये फतवा ही तो है, कि सबकुछ तेरे नाम करूं।
बदनसीवियां इतनी भी नहीं,
की मैं खुद को ही नीलाम करूं।
माना तालुक-ए-उम्र ये ज़ाहिर है,
मगर मैं इतना नासमझ भी नहीं, कि अपना जीना हराम करूं।।....

©Baadal Singh Ashok #backAfterLongTime

#Anger
मासूमियत सा चेहरा लेकर, मैं अब खुद को माफ करूं।
सुनो... ये फतवा ही तो है, कि सबकुछ तेरे नाम करूं।
बदनसीवियां इतनी भी नहीं,
की मैं खुद को ही नीलाम करूं।
माना तालुक-ए-उम्र ये ज़ाहिर है,
मगर मैं इतना नासमझ भी नहीं, कि अपना जीना हराम करूं।।....

©Baadal Singh Ashok #backAfterLongTime

#Anger