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हर क़दम समझौते करते, ज़िन्दगी से रहे यूँ ही डरते..!

 हर क़दम समझौते करते,
ज़िन्दगी से रहे यूँ ही डरते..!

मरने से पहले ही अरमाँ सारे,
ज़िन्दगी में रहे बिखरते..!

ख़ाली ख़ुद को करके हम,
जीवन औरों का रहे भरते..!

अँधकार में धकेल के ख़ुद को,
 रौशन होने को रहे तरसते..!

आँखों में पाले ख़्वाबों को खँगाले,
बह गए यूँ ही आँखों के रस्ते..!

भागे ख़ुद से ख़ुदा की ओर,
जीवन में देख ज्वाला बरसते..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Hum #samjhote