तुम और हम ये रिश्ता कितना सुहाना सा कहते है पिता जिसे आपको प्यार से सींचना था तुम हो पराया धन ,तुम्हें किसी और घर जाना था घर में बेटी बिन ब्याही रह गई ,पाप मुझे चढ़ाना था इतना कह क्यों दिया पापा ,मुझे खुद़ से दूर करना था ये दुनिया की रीत कैसी ,पिता बेटी को बोझ समझना था ।। 🎀 Challenge-233 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।