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MAA जब अकेला रहा तो उसकी याद आयी , अँधेरे में था

MAA 
जब अकेला रहा तो उसकी याद आयी , अँधेरे में था तो उसकी याद आयी। जब भूख लगी तो उसकी याद आयी नींद नहीं आयी तो उसकी याद आयी। सोचने में कितनी आसान लगती थी ये ज़िंदगी जब खुद से जीना सीखा तो उसकी याद आयी। तभी भी लगा की माँ इतनी मतलब कैसे हो सकती है हमसे भी ज्यादा हमारे लिए कैसे सो सकती है। लेकिन सच तो ये है की वो माँ ही होती है जो हमारा पेट भरकर खुद भूखा है।

©Naresh Choudhary #maa_ka_pyar 
#Maakeliyekavita
MAA 
जब अकेला रहा तो उसकी याद आयी , अँधेरे में था तो उसकी याद आयी। जब भूख लगी तो उसकी याद आयी नींद नहीं आयी तो उसकी याद आयी। सोचने में कितनी आसान लगती थी ये ज़िंदगी जब खुद से जीना सीखा तो उसकी याद आयी। तभी भी लगा की माँ इतनी मतलब कैसे हो सकती है हमसे भी ज्यादा हमारे लिए कैसे सो सकती है। लेकिन सच तो ये है की वो माँ ही होती है जो हमारा पेट भरकर खुद भूखा है।

©Naresh Choudhary #maa_ka_pyar 
#Maakeliyekavita